29 पुराने कानून खत्म, चार नई श्रम संहिताएँ लागू
बड़े सुधार की घोषणा करते हुए चार नई श्रम संहिताओं को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया है। इन संहिताओं के लागू होने के साथ ही देश में चल रहे 29 पुराने श्रम कानून समाप्त हो गए हैं। सरकार का दावा है कि इन नए प्रावधानों से कर्मचारी और नियोक्ता दोनों के लिए नियम सरल होंगे, अधिकार स्पष्ट होंगे और विवादों में कमी आएगी।
नई संहिताएँ इस प्रकार हैं—
1. मजदूरी संहिता 2019
2. औद्योगिक संबंध संहिता 202
3. सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020
4. कामकाजी सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं सेवा शर्तें संहिता 2020
मजदूरी संहिता 2019: सभी कर्मचारियों के लिए न्यूनतम वेतन और दोगुना ओवरटाइम
- पहली बार संगठित और असंगठित—दोनों क्षेत्रों के सभी कर्मचारियों को न्यूनतम मजदूरी का वैधानिक अधिकार मिला।
- केंद्र सरकार एक फ्लोर वेज तय करेगी, राज्यों की मजदूरी इससे कम नहीं हो सकेगी।
- समान काम के लिए भर्ती और वेतन में लिंग भेदभाव (ट्रांसजेंडर सहित) पूरी तरह प्रतिबंधित।
- नियोक्ता अब किसी भी ओवरटाइम काम के लिए सामान्य दर से कम से कम दोगुना भुगतान देंगे।
- समय पर भुगतान सुनिश्चित करने और अनियमित कटौतियाँ रोकने के प्रावधान सभी पर लागू होंगे।
औद्योगिक संबंध संहिता 2020: 1 साल में ग्रेच्युटी, छंटनी पर फंड और वर्क फ्रॉम होम
- अब ग्रेच्युटी पाने के लिए 1 वर्ष की सेवा पर्याप्त, पहले यह अवधि 5 वर्ष थी।
- छंटनी होने पर श्रमिकों के कौशल उन्नयन के लिए अलग फंड, जिसकी राशि 45 दिनों के भीतर खाते में जाएगी।
- सर्विस सेक्टर के लिए वर्क फ्रॉम होम के प्रावधान को विधिक मान्यता।
सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020: ईएसआई-ईपीएफ के दायरे का विस्तार
- ईएसआईसी अब पूरे देश में अनिवार्य रूप से लागू होगा।
- 10 से कम कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठान भी आपसी सहमति से इसमें शामिल हो सकेंगे।
- खतरनाक उद्योगों और बागान श्रमिकों को स्वचालित कवर।
- ईपीएफ जांच के लिए 5 साल की समयसीमा, जिसे अधिकतम दो साल में पूरा करना अनिवार्य।
- ईपीएफओ के आदेशों के खिलाफ अपील में अब सिर्फ 25% राशि जमा करनी होगी।
- असंगठित, गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए जीवन, विकलांगता, स्वास्थ्य और वृद्धावस्था लाभों हेतु अलग फंड।
- कर्मचारियों की यात्रा के दौरान होने वाली दुर्घटनाओं को भी रोजगार से जुड़ा मानकर मुआवजा मिलेगा।
- कामकाजी सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं सेवा शर्तें संहिता 2020: 8 घंटे ड्यूटी, मुफ्त हेल्थ चेकअप, महिलाओं के लिए नाइट शिफ्ट की अनुमति
- खतरनाक व्यवसाय वाले किसी भी प्रतिष्ठान पर—even एक कर्मचारी हो—सभी प्रावधान लागू किए जा सकेंगे।
- वन नेशन-वन लाइसेंस, एक ही पंजीकरण और एक ही रिटर्न प्रणाली लागू होने से अनुपालन का बोझ कम होगा।
- राज्य प्रवासी श्रमिकों की परिभाषा का विस्तार—सीधे, ठेके पर या स्वयं प्रवास करने वाले सभी शामिल।
- सभी कर्मचारियों को मुफ्त वार्षिक स्वास्थ्य जांच का अधिकार।
- अधिकतम कार्य समय: 8 घंटे प्रतिदिन और 48 घंटे प्रति सप्ताह।
- ओवरटाइम केवल कर्मचारी की सहमति से और दोगुनी दर पर।
महिलाओं के लिए क्या है खास?
नाइट शिफ्ट की अनुमति:
महिलाएँ अब सभी प्रतिष्ठानों में रात 7 बजे के बाद भी काम कर सकेंगी, बशर्ते नियोक्ता सुरक्षित परिवहन और सुरक्षा व्यवस्था दें तथा महिला की लिखित सहमति लें।
सिर्फ 1 साल में ग्रेच्युटी:
पहले 5 साल सेवा जरूरी थी, अब महिलाओं सहित सभी कर्मचारियों को 1 वर्ष नौकरी के बाद ग्रेच्युटी मिलेगी।
परिवारिक लाभ का दायरा बढ़ा:
नई सामाजिक सुरक्षा संहिता में महिला कर्मचारियों के आश्रित सास-ससुर को भी परिवारिक लाभों में शामिल किया गया है।
भेदभाव पूरी तरह प्रतिबंधित:
भर्ती, वेतन, पदस्थापन और रोजगार शर्तों में किसी भी प्रकार का लिंग-आधारित भेदभाव नहीं होगा। ट्रांसजेंडर महिलाएँ भी शामिल।
मुफ्त वार्षिक स्वास्थ्य जांच:
नई संहिता के तहत सभी महिला कर्मियों को फ्री हेल्थ चेक-अप का अधिकार।
